भारतीय स्टेट बैंक में प्रोबेशनरी ऑफिसर्स के पदों पर भर्ती के लिए हर साल होने वाली एसबीआई पीओ परीक्षा का नोटिफिकेशन मार्च/अप्रैल में जारी किया जाएगा। पहले चरण की परीक्षा (प्रिलिम्स) मई/जून 2020 में हो सकती है, वहीं दूसरा चरण (मेन्स) इसके दो महीने बाद यानी जुलाई/अगस्त में हो सकती है। पिछले पांच सालों के ओवरऑल कटऑफ पर नजर डालें तो एक भी बार यह 60% के ऊपर नहीं पहुंचा है। साफ है कि परीक्षा में अधिक सवाल अटेम्प्ट करने से ज्यादा जरूरी सवालों के सही जवाब देना है।
एक्युरेसी पर करें फोकस
एक्सपर्ट्स के अनुसार, जनरल अवेयरनेस को छोड़कर प्रिलिम्स और मेन्स के तीन कॉमन सेक्शंस के सिलेबस में कोई खास अंतर नहीं है। यानी एक साथ दोनों चरणों की तैयारी की जा सकती है। एसबीआई पीओ 2019 परीक्षा में मेन्स का कटऑफ 104.42 मार्क्स यानी 41.76 % था। अगर परीक्षा का डिफिकल्टी लेवल पिछले साल की तुलना में कम भी होता है, तब भी इसका कटऑफ 50% के पार पहुंचने की संभावना कम ही है। लिहाजा कैंडिडेट्स के लिए स्पीड से ज्यादा एक्युरेसी पर फोकस करना जरूरी है। एक्सपर्ट विकास कुमार मेघल बता रहे हैं वह स्ट्रैटजी, जिसके जरिए प्रिलिम्स और मेन्स परीक्षा के कटऑफ तक पहुंचने की तैयारी को पुख्ता किया जा सकता है-
100 मार्क्स का प्रिलिम्स
प्रिलिम्स परीक्षा में कुल तीन सेक्शन हैं।
- इंग्लिश- 30
- रीजनिंग - 35
- क्वांटिटेटिव एप्टीट्यूड - 35
प्रत्येक सवाल 1 मार्क्स का होता है। यानी प्रिलिम्स में कुल 100 मार्क्स के सवाल पूछे जाते हैं।
250 मार्क्स का होता है मेन्स
वहीं दूसरे चरण यानी मेन्स में दो पेपर होते हैं, पहला ऑब्जेक्टिव और दूसरा डिस्क्रिप्टिव। ऑब्जेक्टिव पेपर में चार सेक्शन होते हैं।
- रीजनिंग एंड कम्प्यूटर एप्टीट्यूड - 45
- डेटा एनालिसिस एंड इंटरप्रिटेशन - 35
- जनरल अवेयरनेस - 40
- इंग्लिश लैंग्वेज - 35
इसके अलावा डिस्क्रिप्टिव टेस्ट में कैंडिडेट्स को एक लेटर और एक एस्से लिखना होता है।
इंग्लिश के साथ मेन्स के डिस्क्रिप्टिव सेक्शन की इस तरह करें तैयारी
इंग्लिश के साथ ही कैंडिडेट्स मेन्स सेक्शन के डिस्क्रिप्टिव टेस्ट की भी तैयारी कर सकते हैं। प्रिलिम्स और मेन्स में 1-1 सेक्शन इंग्लिश का है। वहीं मेन्स का डिस्क्रिप्टिव टेस्ट भी इंग्लिश भाषा का ही है। दोनों चरणों के इंग्लिश सेक्शन में सबसे ज्यादा वेटेज रीडिंग कॉम्प्रिहेन्शन का होता है। ऐसे में इसकी बेहतर तैयारी के लिए कैंडिडेट्स को रीडिंग स्पीड बढ़ानी होगी।
प्रिलिम्स और मेन्स के इंग्लिश सेक्शन में मूल अंतर यह है कि प्रिलिम्स के पैसेज में डायरेक्ट नेचर के सवाल पूछे जाते हैं, वहीं मेन्स के सवाल कॉम्प्लिकेटेड होते हैं। पैसेज के कंटेंट की बात करें तो यह करंट अफेयर पर ही आधारित होता है। इसलिए रीडिंग की प्रैक्टिस के दौरान कैंडिडेट्स को हाल की घटनाओं से जुड़ा कंटेंट पढ़ना चाहिए। इन बातों का रखें ध्यान:
- डिस्क्रिप्टिव टेस्ट में एक एस्से और एक लेटर लिखना होता है।
- एस्से का टॉपिक भी करंट अफेयर पर ही आधारित होता है।
- इस तरह इंग्लिश के रीडिंग सेक्शन की तैयारी के साथ ही डिस्क्रिप्टिव टेस्ट आसानी से कवर किया जा सकता है।
- डिस्क्रिप्टिव टेस्ट में लेटर राइटिंग के लिए फॉर्मल और इनफॉर्मल लेटर के सभी फॉर्मेट्स को याद करना न भूलें।
- 17-18 मिनट में 200 शब्द लिखने की प्रैक्टिस जरूर करें।
रीजनिंग एबिलिटी सेक्शन में पजल्स और अरेंजमेंट के सवाल हैं महत्वपूर्ण
प्रिलिम्स के रीजनिंग सेक्शन के सवाल ग्रेजुएशन स्तर की अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे ही होते हैं। वहीं मेन्स के रीजिनिंग सेक्शन में कम्प्यूटर एप्टीट्यूड के सवाल भी शामिल हैं। पिछले पांच सालों का ट्रेंड बताता है कि रीजनिंग में अधिकतर सवाल पजल्स और अरेंजमेंट पर ही आधारित होते हैं। जिनमें किसी भी स्टेटमेंट का कन्क्लूजन यानी सार पूछा जाता है। इसके लिए पिछले पेपर्स की प्रैक्टिस के साथ रीडिंग हैबिट भी जरूरी है, जिससे आप सेंटेंस को पढ़कर कम समय में उसका सार निकाल पाएं। प्रिलिम्स के रीजनिंग सेक्शन में इनइक्वैलिटी, सिलोगिजम्स, ब्लड रिलेशन, डायरेक्शन सेंस, अल्फान्यूमेरिक सीरीज और रैंकिंग से जुड़े सवाल सबसे ज्यादा पूछे जाते हैं। वहीं मेन्स के रीजनिंग सेक्शन (रीजनिंग एंड कम्प्यूटर एप्टीट्यूड) में प्रिलिम्स के टॉपिक्स के अलावा इंटरनेट, मेमोरी, कीबोर्ड शॉर्टकट्स और कम्प्यूटर एब्रिविएशन से जुड़े सवाल भी आते हैं।
प्रिलिम्स के मैथेमैटिक्स में फॉर्मूला बेस्ड सवाल
दोनों चरणों में मैथेमैटिक्स से जुड़ा एक-एक सेक्शन होता है। प्रिलिम्स में क्वांटिटेटिव एप्टीट्यूड और मेन्स में डेटा एनालिसिस एंड इंटरप्रिटेशन के रूप में शामिल रहता है। क्वांटिटेटिव सेक्शन में सबसे ज्यादा वेटेज वाले टॉपिक्स डेटा इंटरप्रिटेशन, प्रॉफिट-लॉस, वर्क एंड टाइम, सिम्पल एंड कम्पाउंड इंटरेस्ट और मिक्सचर एंड एलीगेशन हैं। प्रिलिम्स के अधिकतर सवाल फॉर्मूला बेस्ड हैं। यही वजह है कि अर्थमैटिक के साथ ही प्रॉफिट - लॉस, पर्सेंटेज आदि के फॉर्मूलों पर मजबूत पकड़ बनाकर क्वांटिटेटिव एप्टीट्यूड सेक्शन में बेहतर स्कोर किया जा सकता है।
मेन्स में बढ़ रहे हैं फनल डीआई के सवाल
इधर मेन्स के मैथेमैटिक्स सेक्शन यानी डेटा एनालिसिस एंड इंटरप्रिटेशन की बात करें, तो इसमें एडवांस टॉपिक्स का ज्यादा वेटेज है। इनमें डेटा इंटरप्रिटेशन के साथ ही टैब्युलर ग्राफ, रडार ग्राफ, डेटा सफिशिएंसी और प्रोबैबिलिटी शामिल हैं। दोनों चरणों के मैथ्स के सेक्शन में डेटा इंटरप्रिटेशन के सवाल सबसे ज्यादा आते हैं। पिछले तीन सालों से फनल डीआई के सवालों की संख्या बढ़ी है। इनमें नीचे से ऊपर की तरफ हायरार्की होती है, इसलिए ये सवाल ट्रिकी होते हैं। हालांकि प्रैक्टिस के जरिए इनपर मजबूत पकड़ बनाई जा सकती है।